रोजाना की अपनी ज़िन्दगी के और वक़्त के नज़दीक कैसे रहा जाए ?

आपाधापी -भरी ज़िन्दगी में वक़्त तो क्या लम्हे भी हाथ नहीं आते। जरा पास से गुज़रने दें समय को , तो बोध होगा।

positive vibe image of रोजाना की अपनी ज़िन्दगी के और वक़्त के नज़दीक कैसे रहा जाए ?
positive vibe image of रोजाना की अपनी ज़िन्दगी के और वक़्त के नज़दीक कैसे रहा जाए ?

अच्छा महसूस करे।

रोजाना की अपनी ज़िन्दगी के और वक़्त के नज़दीक कैसे रहा जाए ?

दिन समय के घोड़ों पर सवार होकर भागे चले जाते हैं। हम कितनी ही बार पूछ बैठते हैं – आज कौनसी तारीख है ? और फिर जवाब सुनकर हैरान होते है की इतनी जल्दी हफ्ता- महीना बीत गया।

इसी तरह रोज के रास्तो पर चलते हुए केवल यह ध्यान रहता है की गंतव्य तक पहुँचने में कितना समय लगेगा या कितना रास्ता बाकी है। ऐसे में किसी नएपन के लिए अंतराल कहाँ से निकले ? और नयापन महसूस भी कैसे हो ?

‘आज जल्दी उठे ‘ , आज देरी हो गई , ‘ जैसे जुमले भी अक्सर बोले जाते हैं। जीवन घडी की सूई या राह नापते वाहन की गति में खो जाए, तो हैरानी, ख़ुशी, सुकून जैसे भाव नज़रअंदाज हो ही जाएंगे।

समय का प्रबंधन आसान नहीं है। उस समय के लिए स्थान कैसे खोजै जाए, जब हम ख़ुशी महसूस कर सके। या जब प्रकृति या प्राणियों के करिश्मे पर चमत्कृत हो। किसी नयेपन पर हैरान हो, तो किसी अंतराल में शान्ति और चैन पाए। यह सब समय को बाँधने पर कैसे मिलेगा ?

जब भी यह गठरी बंधेगी तो ऊपर ही ऊपर जरुरी काम रखे होंगे , अनिवारीयताये अपनी जगह घेरेंगी और जीवनउपयोगी कार्यो का अपना जमावड़ा होगा। इस गठरी में से कुछ फिसलकर नहीं निकल सकता।

कसकर बांधे समय में से सूख के अंतराल तभी निकलेंगे, जब यहाँ भी कुछ गुंजाइश रखी जाए, गठान ना बांधते हुए दिन हफ्ते की तरतीब में कुछ लचीलापन रखा जाए।

तब कपडे सुखाने की आपाधापी के बीच भी मुंडेर पर बैठी चिड़िया पर निगाह डाली जा सकेगी। दफ्तर जाते हुए, सड़क किनारे उछल-उछल कर अपनी माँ से बतियाते बच्चे की ख़ुशी पर भी नज़र जा पायेगी। कभी भीड़ की वजह से राह बदलनी पड़ी, तो भी नयेपन के स्वागत को आतुर मन खुश होगा। नदी की कलकल केवल तब सुनाई देती है, जब उसके किनारों के करीब हो।

समय का प्रवाह भी तब हाथों को छूता हुआ गुजरेगा, जब उसके करीब से महसूस करने के लिए तत्पर होंगे। थोड़ा-सा समय लेकर।

अखबार का एक आर्टिकल। मुझे इस राइटर के सभी आर्टिकल्स बहुत पसंद है। ये मैं शेयर कर रही हु। सभी नहीं। कॉपी पेस्ट करने का मेरा कोई इरादा नहीं है।

3 thoughts on “रोजाना की अपनी ज़िन्दगी के और वक़्त के नज़दीक कैसे रहा जाए ?”

Leave a Comment