बचपन से ही मैने मेरे मम्मी पापा को खुदके काम के प्रति बहुत सीरियस देखा है। तो मुझे यही लगने लगा की कुछ पाना है तो सीरियस ही रहना जरुरी है।
कड़ी मेहनत जरुरी है। सफलता का सीधा रास्ता जरुरी है। और इन सब बातो के चलते मैने चिंता रखनी शुरू कर दी। मैं १० साल की थी तभी मेरे आगे से बाल सफ़ेद होने लग गए थे।
मौज मस्ती के समय पर भी काम की चिंता बनी रहती। काम का बनना या ना बनना सोचने की बजाये बस चिंता सी रहती।
मम्मी -पापा ने कभी मुझे कुछ नहीं कहा। उन्होंने कभी मुझ पर बर्डन नहीं डाला। कभी ये तक नहीं कहा की ; तू पढ़ ले।उन्हें हमेशा मेरी चिंता रहती की मैं इतनी सीरियस क्यों रहती हु ,कुछ मजे क्यों नहीं करती।
नतीजा ये निकला की आज मैं 34 की हूँ और चिंता जैसे तो मेरा ही एक हिस्सा बन गई है।
अभी कुछ दिनों पहले की बात है मेरी माँ ने कई बार एक बात दोहराई की हमें ज़िन्दगी सीरियस होकर जीनी चाहिए और मैने अपनी माँ से कहा सीरियस ही क्यों मज़े से क्यों नहीं। क्यूंकि मेरा अनुभव कहता है सीरियस ज़िन्दगी आपको मायूसी और चिंताओं से भर देती है।
खुदकी चिंताओं और सीरियस भरी ज़िन्दगी से मैने ये सब सीखा –
स्कूल लाइफ –
पढ़ना ,लिखना ,किताबी ज्ञान पाना ,दोस्त बनाना स्कूल की ज़िन्दगी इतनी ही मायने रखनी चाहिए।
पढाई के अलावा दूसरी सभी एक्टिविटीज में जरूर-जरूर भाग लो। नाचना ,गाना ,खेल खेलना ,डिबेट कम्पटीशन वगैरह। मैं तो कहूँगी हर एक्टिविटी में एक बार जरूर भाग लो।
जिन चीज़ो के बारे में नहीं सोचना जैसे की नंबर कैसे आयंगे, पीछे रह गया तो, टॉप किसी और ने कर लिया तो, फ़ैल होगया तो आगे क्या करूँगा, मर जाऊंगा/जाउंगी वगैरह।
कभी कभी स्कूल के नियमो को तोड़ कर भी देखो ,फिर जो पनिशमेंट मिलती है उसके भी अपने मजे है।
खूबसूरत पल बनाये ,पछतावे इक्कठे ना करे।
अपने से बड़ो को हमेशा सम्मान देते चले और छोटो की मदद करते चले। इसका लाभ आपको आगे मिलता है।
आपकी स्कूल लाइफ में आपको जिन चीज़ो का ख़ास ख्याल रखना है वो है अपने दिल और अपनी सेहत का। साथ ही इस प्रकृति का। भविष्य में ये आपका साथ देंगे।