क्या कभी आपने ऐसा महसूस किया है की प्रकृति ही सबकुछ है ?

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क्या कभी आपने ऐसा महसूस किया है की प्रकृति ही सबकुछ है ?

इस पिक्चर को देख कर मुझे बहुत सुकून मिला। बहुत गौर से देखा मैने इसे। पहली बात जो मेरे जहन में आई की कितना सुकून है इस चेहरे में। मानों इसने अपना सबकुछ इस प्रकृति को सौंप दिया है।

इस दुनिया के खयालो से दूर खुद प्रकृति ही बन जाने जैसा चेहरा। प्रकृति जैसा ही भरपूर आत्म -विश्वास से भरा , सूरज जैसा तेज ,पेड़ -पौधो जैसा देने की भावना रखने वाला , आसमान जैसा खुले दिमाग वाला , तितली जैसा स्वतंत्र भले ही ज़िन्दगी एक ही दिन की क्यों ना हो ,निःस्वार्थ और सुरक्षा से भरपूर।

मैने जब जब खुदको प्रकृति के काफी नज़दीक पाया है हमेशा सुकून महसूस किया है। सुबह की निकलती धुप और शाम का ढलता सूरज दोनों ही लाजवाब है।

मेरे ख्याल से प्रकृति से ज़्यादा खूबसूरत इस दुनिया में कुछ नहीं है और इससे ज़्यादा ख़तरनाक भी कुछ नहीं है। इसकी ख़ूबसूरती तो हम रोजाना देखते है लेकिन इसकी एक बार की नाराजगी भी पृथ्वी वालों के लिए ख़तरनाक साबित होती है।

मैं 10th स्टैण्डर्ड में थी तब पहली बार मैने आसमान के होने का सुकून महसूस किया था। उन दिनों मेरे लगातार प्रे -बोर्ड चल रहे थे। मैं कम ही नींद लेती थी। और वो दिन मेरे एक्साम्स का आखरी दिन था। माँ -पापा छत पर धुप में बैठे थे। मैं बहुत थकी हुई थी। स्कूल की यूनिफार्म बदले बिना ही मैं छत पर चली गई और सीधे जाकर मम्मी की गोद में सर रखकर लेट गई। कुछ देर लेटे रहने के बाद जब मैने आँखे खोली तो दूर तक सिर्फ आसमान था। ना कोई तार और ना ही कोई ईमारत थी जो आड़े आती। पहले भी आसमान देखा था लेकिन वो दिन ख़ास था।

उस दिन मैने अचानक महसूस किया की हमारे पास कितना बड़ा और खूबसूरत आसमान है। वो दिन है और आज का दिन जब भी मुझे नकारात्मकता घेर लेती है और मैं परेशान होती हु कुछ समझ नहीं आता की क्या करू तो उन दिनों मैं ज्यादा से ज्यादा प्रकृति के नजदीक रहती हु। खुले आसमान को जी भरके देखती हु फिर भले ये सुबह का हो या रात का और मुझे धीरे धीरे शान्ति महसूस होने लगती है।

किसी को भी कॉल करने की बजाये प्रकृति से बातें करती हु। आसमान को अपनी सारी कहानी कह देती हु। बदले में ये सब मुझे ढेर सारी सकारात्मक ऊर्जा देते है और मैं फिर से अपने काम में लग जाती हु।

बहुत कुछ सीखा है मैने इनसे। हमेशा दिन एक जैसे नहीं रहते। ना तो हमेशा ख़ुशी रहने वाली और ना ही दुःख। इनका आगे पीछे चलना हमारे लिए बेहतर होता है।

नियंत्रण हमारे हाथ में नहीं है। सिवाए कर्मो के। हमेशा के लिए तो कुछ भी नहीं है। हमसे महान और ताकतवर एक दिव्या शक्ति है।

आपके पास जो कुछ है उसके लिए हमेशा आभारी रहे। पाने में वक़्त लग सकता है लेकिन जाने में वक़्त नहीं लगता।

और मैं आभारी हु अपनी इस खूबसूरत ज़िन्दगी के लिए ,इन साँसों के लिए।
आभारी हु सबकुछ के लिए जो मेरे पास है।

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