आपका आखरी फैसला खुद के लिए।
कितने लोग इस बात को जानते है। मेरे ख्याल से हम सभी।
मैं एक ब्लॉगर हु। लिखती हु पढ़ती हु। लेकिन मैं खुद बहुत बार इस बात को नाकारा करती हु।
खुद को पॉजिटिव writers कहने वाले खुद कई लोग वो सब नहीं करते जो वो दुनिया को करने को कहते है। जैसे की सकारात्मक रहो , एक्सरसाइज करो ,अच्छा खाओ पीओ ,सोसिअल साइट्स कम उपयोग में लो , प्रकृति के बिच बैठो वगैरह वगैरह।
मैं खुद कभी कभी बहुत नकारात्मक हो जाती हु क्यूंकि ये एक आम बात है।
हम सभी की ज़िन्दगी में उम्र और अनुभव के बहुत से पड़ाव आते है और इसी के साथ हम बदलते जाते है मानसिक और शारीरिक तौर पर। परेशानियां ,खुशियां आती जाती रहती है। कभी कभी ज़िन्दगी फूलो का बगीचा लगती है तो कभी काँटो का झाड़।
चाहे जो हो हम अपनी ज़िन्दगी जीते है कभी ऐसे तो कभी वैसे। हम अपनी ज़िन्दगी को हर संभव जीने की कोशिश करते है सिवाए जैसे की जीनी चाहिए बस यही कोशिश कभी नहीं करते।
मुझे पता है मुझे अपनी ज़िन्दगी कैसे जीनी चाहिए और क्या चीज़े अपनी लाइफ से निकाल फेकनी चाहिए। लेकिन मैं ऐसा नहीं करती।
यही तो सबसे महत्वपूर्ण सवाल है की क्यों नहीं करते तुम ऐसा ,कौनसी ऐसी आफत है जो तुम्हे रोकती है। क्या है असा जिसकी वजह से तुम जी नहीं रहे ,क्या है ऐसा की तुम डर कर जी रहे हो जबकि तुम्हे पता है यही एक ज़िन्दगी है तुम्हारे पास।
सबसे पहले हमारे जहन से जो निकल के आते है वो है बहाने। घर ,परिवार , नौकरी , कॉम्पिटशन ढेर सारे बहाने है। लेकिन ये बहाने एक टाइम तक ही वैलिड रहते है। जबकि तुम्हारे दिल और दिमाग से भी ज्यादा गहराई में तुम खुद छुपे बैठे हो।
ये तुम्हारी अपनी दुनिया की सबसे बड़ी सच्चाई है जो तुम्हारे अलावा बेहतर तरीके से कोई नहीं जानता की एक समय आता है जब तुम्हारे सभी बहाने expired हो जाते है ,रह जाते हो तो सिर्फ तुम।
तुम्हे अपनी ज़िन्दगी का आखरी फैसला खुद करना होता है और ये बहुत मुश्किल होता है क्यूंकि यहाँ तुम्हारे आस पास के अपने लोग इसमें तुम्हारा साथ दे भी सकते है और नहीं भी।
हम सभी की ज़िन्दगी में बहुत सी जिम्मेदारियां होती है। उन्हें निभाना अच्छी बात है लेकिन इन सब के बीच खुदको ना भूलो। थोड़ा थोड़ा ही सही खुदको भी खुश करते रहो।
हम सभी को अपनी समस्याएं बहुत ज्यादा लगती है लेकिन सच पूछो तो समस्याओ से जयदा हमारे पास दिल से ख़ुशी से जीने के मौके होते है।