मुझे लोगों में एक बात बहुत अजीब लगती है।
चाहे शादी किसी भी तरह की हो, लव मैरिज हो या अरेंज मैरिज। एक दूसरे को जानने से पहले हम सभी एक दूसरे के लिए अजनबी होते हैं। यहाँ तक कि हमारे परिवार भी। हम किसी भी रिश्ते में धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं। चाहे वो बातचीत के ज़रिए हो या एक दूसरे के साथ समय बिताकर। लेकिन जब बात किसी अनजान बच्चे को उसी परिवार में गोद लेने की आती है, तो सत्तर सवाल उठते हैं। जैसे पता नहीं ये किसका खून है, ये गंदा खून है, ये अनजान खून है, पता नहीं ये किस तरह की बीमारियों से जुड़ा होगा आदि।
कुछ लोग अपने ही परिवार के बच्चों को गोद लेते हैं और कहते हैं कि हमने गोद लिया है। आपने क्या गोद लिया है? आपने एक ऐसे बच्चे को गोद लिया जिसके पास पहले से ही सब कुछ था। आप उसे क्या नई चीज़ देंगे?
ऐसे बच्चों को गोद लें जिन्हें घर और परिवार की ज़रूरत है। प्यार की ज़रूरत है।
कुछ परिवारों में मेडिकल प्रॉब्लम के कारण बच्चा ना होने के वजह से बजाये वो लोग बच्चा गोद लेने के दूसरी – तीसरी शादी कर लेते है क्यूंकि उन्हें बिलकुल अपने DNA से मैच करते गधे चाहिए।
सबसे बड़ी बात जो दुनिया के हर इंसान के मुँह से सुनी जाती है दूसरा खून।
मतलब सच में क्या आप दोनों पति-पत्नी शादी से पहले भाई बहन थे। नहीं ना तो फिर आप दोनों अलग अलग खून की पैदाइश है। जब आप दोनों एक दूसरे का खून अपना सकते है। दो अलग अलग खून के परिवारों में रह सकते है तो फिर एक अलग खून का बच्चा क्यों नहीं अपना सकते।
कुछ केसेस में देखने को मिला है की बच्चे अच्छे नहीं थे या माँ बाप सही नहीं थे। ये भी आप ही के हाथ में है। इस बच्चे की परवरिश बहुत ध्यान से की जाती है। इसे ना लगे की एडॉप्शन के कारण इसके साथ कुछ अलग व्यव्हार है। जिस तरह से आप अपने सगे खून की परवाह करते है बिलकुल वही परवाह ये मांगता है। ढेर सारा प्यार, सही समझ, सही जिम्मेदारी उस बच्चे को आपका बनाने के लिए काफी है।
सुना है हमारे यहाँ बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया बहुत ही मुश्किल है इसलिए भी बाहर की संस्था से बच्चे गोद नहीं लिए जाते। ये प्रॉब्लम इतनी भी बड़ी नहीं है जितनी बना रखी है। क्यूंकि ऐसे कितने लोग है जिन्होंने कोशिश की हो अनाथाश्रम में जाकर बच्चा गोद लेने की प्रोसेस में भाग लिया हो।
भारत में अप्रैल 2023 और मार्च 2024 के बीच 4,009 गोद लेने की घटनाएं हुईं , जो पांच वर्षों में पहली बार है जब देश ने 4,000 गोद लेने का आंकड़ा पार किया है। इसमें भारत में 3,560 तथा अन्तर्देशीय 449 दत्तक-ग्रहण शामिल हैं।
हमारे यहाँ जब कोई बच्चा खो जाता है तो उसे पुलिस थाने या अनाथालय में पहुंचाने के बजाये कोई तीसरा इंसान उसे अपने तरीके से उपयोग में लेता है। ख़ास तोर पर भीख मंगवाने में या फिर ह्यूमन ट्रैफिकिंग में।
दूसरी बात खुद ये संस्थाए जल्दी से खोये हुए बच्चे को अपनी संस्था के लिए नहीं अपनाती। इन्हे अपनी जान छुड़ानी होती है।
भारत में एक बच्चा गोद लेने के लिए अमूमन ३-४ साल लग जाते है और इसमें क़ानूनी कारवाही और बाकी के खर्चे लगाकर लगभग ५०,००० रूपए लग जाते है। सच पूछो तो पैसो से जयदा मुझे साल जयदा लगे। प्रोसेस इतनी बड़ी है की इतने सालो में इंसान भी ३ से ४ बार बदल जायगा अपने फैसले पर। ये प्रोसेस थोड़ी छोटी और जल्दी होनी चाहिए ताकि मेरे जैसे भी बच्चा गोद लेने के अपने फैसले पर बने रहे।
मतलब, कभी-कभी मुझे यह बहुत अजीब लगता है कि यह सब बहुत सरल है लेकिन ये लोग चीजों को कैसे जटिल बना देते हैं।
जब बात भलाई की आती है तो हम सभी दुनिया का भला तो करना चाहते है लेकिन सिर्फ बातों से। करना बहुत ही मुश्किल होता है ,है ना। नहीं इतना भी मुश्किल नहीं है तब तक तो नहीं जब तक कोशिश ना की जाए।
हम चाहते है लोग पहले की तरह दयालु , मदद करने वाले , ईमानदार हो जाए लेकिन खुद कभी ये सब ना करे। अक्सर हम लोग मदद के बदले मदद चाहते है। आप इस मदद की शुरुआत अपनों के बीच , पड़ओसिओ और रिश्तेदारों से शुरू कर सकते है और बस ऐसे ही इस मदद को फैलने में टाइम नहीं लगेगा। अपनी आने वाली पीढ़ी को भी मदद करना सिखाये ताकि एक ही स्कूल में पढ़ते एक साथ सभी बच्चे इस मानवता को समझे और उनके लिए आगे की राह आसान बने।
- एक बच्चा गोद लेने के और भी बहुत से फायदे है जैसे की जनसख्याँ को कम करने में एक पहल है।
- निःसंतान माता पिता को औलाद मिल जाती है।
- किसी भी उम्र का बच्चा आप गोद ले सकते है।
- मानवता की मिशाल बन सकते है आप।
- सरकार बच्चा गोद लेने वालो को अलग से कुछ लाभ भी देती है।
- दूसरा बच्चा करने में दिक्कत है तो ये आसान और कमाल का विकल्प है।उस अनाथ बच्चे को घर मिल जाता है और आपको एक औलाद मिल जाती है।
- आपको देखकर आस पास के लोग भी ये कदम उठाएंगे।
- बच्चो का शोषण रुकेगा।
आखरी बात ये की क्यों आप नफ़ा नुक्सान देखते है। मानवता को इस कदर नापने के कारण ही आज हम ऐसी जगह है जहा सामने हो रहे किसी भी तरह के अत्याचार को हम देखते रहते है वीडियोस बनाते है लेकिन मदद नहीं करते। मानो अब मदद करना एक गुनाह हो गया है।