क्या जैसे आप दूसरों की परवाह करते हैं वैसे ही अपना भी ख्याल रखते है ?

आप भी महत्वपूर्ण हैं।

image of hindi article जैसे आप दूसरों की परवाह करते हैं वैसे ही अपना भी ख्याल रखें। आप भी महत्वपूर्ण हैं।
image of hindi article जैसे आप दूसरों की परवाह करते हैं वैसे ही अपना भी ख्याल रखें। आप भी महत्वपूर्ण हैं।

दूसरो की परवाह में खुद को हमेशा पीछे धकेल दिया जाता है।
कभी ध्यान देना जब बात दूसरों को राये देने की या कोई सलाह मशविरा देने की आती है तो हमारा ध्यान पूरी तरह से सकारात्मक होता है। सामने वाले को अच्छी से अच्छी राये देने की हमारी कोशिश दमदार होती है। हम उसे हर वो उपाए देने की कोशिश करते है जो उसके काम आ सके।

लेकिन जब बात खुद की आती है तो कुछ लोग एक या दो बार कोशिश के बाद बैठ जाते है। कोई सलाह देता है तो उसे नकार दिया जाता है ये सोचके की उसे मेरी स्थिति नहीं पता।

अच्छे लोगों की बात करे तो ये हमेशा खुदको पीछे रखकर चलते है। चालाक इंसान इन्हे बेवकूफ बनाये जाता है। यही वो गलती होती है जब इंसान आपका फायदा उठाने लगता है ये सोचके की उसने खुद को कहा महत्व देना है मेरा काम जरूर कर देगा।
आप यहाँ खुद अपनी महता कम करते है और दुसरो को मौका देते है की वो आपका उपयोग करे और फिर अपने काम की मुसीबत भी हमें खुद झेलनी पड़ती है।

अच्छे लोगो को एक सन्देश है मानते है की हमारे कर्म ही हमारे साथ होते है लेकिन अपना आत्म -सम्मान खोकर तो हम अपने कर्मो का भी हिसाब नहीं दे पाते।

मैं दुसरो को राये सिर्फ उतनी ही देती हु जिनपर मैं खुद अम्ल करती हु।

हम अपनों की देखभाल में कमी नहीं छोड़ते जैसे की उनका खाना पीना ,दवाइया देना ,डेली चेकउप ,आने जाने में सावधानी ,उनको सुन्ना ,समझना बहुत कुछ। ध्यान दो आखरी बार खुदको इतना प्यार कब दिया था आपने। मेरी पूछो तो मुझे खुद याद नहीं।

अपने दोस्तों को ,अपने करीबी को हम ध्यान से सुनते है और उसको अच्छी से अच्छी राये देते है। यहाँ तक की चुनाव भी देते है। लेकिन हमारे पास खुद को सुनने का वक़्त नहीं होता। हम कहते है समय ही नहीं मिलता।

मैने पढ़ा भी है और खुद पर आजमाया भी है जब हम खुद का ख्याल रखते है ,खुद को महत्व देते है तब हम दुसरो को और बेहतर तरीके से समझ भी सकते है और उनका ध्यान भी रख सकते है।

अगर मैं 24 घंटे वाली घर की गृहणी की बात करू तो उन्हें भी बहुत जरुरत है खुद पर ध्यान देने की। भले ही वो घर में रहती है लेकिन खुद के साथ कभी नहीं रहती क्यूंकि इनका सारा ध्यान अपने परिवार पर होता है। रिश्ते -नातो में होता है। लेकिन बस खुद पर नहीं होता।

दुसरो की परवाह करने वाले लोग अक्सर खुद को खो देते है।

इसलिए बहुत जरुरी है खुद का भी उतना ही ध्यान रखना जैसे आप दुसरो का रखते है। जब हम खुद के साथ होते है तब हम अपनी और अपनों की ज़िन्दगी को बेहतर सँवार पाते है।

Leave a Comment