हम सभी अपने सपनों के पीछे दिन-रात भागते है। सपनो की भी सीमाएं नहीं है। किसी का सिर्फ एक ही सपना होता है जो उसकी बाकी कमियों को पूरा कर देगा तो किसी के एक से ज्यादा होते है।
कुछ ये लोग होते है जिनके सपने नहीं होते।
टीचिंग ट्रेनिंग के दौरान मेरी कुछ फ्रेंड्स बनी। उनमे ज्यादातर शादीशुदा थी। बातो ही बातो में एक दिन हम अपने सपनो की बातें करने लगे। हम सभी लगभग 80 ‘s और 90 ‘s की है। तो हमें पता चला हममें से ज्यादातर के अब कुछ ख़ास सपने नहीं रहे थे।
एक ने कहा की सपने देखना और उन्हें पूरा कर पाना ये पिता के घर में ही अच्छे लगते है। शादी बाद तो पूरी नींद भी नहीं मिलती। सपनो को पाना अलग ही बात है। एक ने कहा की सपना उसका कुछ और है लेकिन घरके कुछ और चाहते है।
एक ने कहा की जब सपने थे तब किसी ने साथ नहीं दिया और अब मन नहीं है उन्हें देखने का और पूरा करने का।
घर की जिम्मेदारियों में ज्यादातरो का यही हाल है। कभी कभी घर बाहर की जिम्मेदारियों में हम अपने सपनो को एक तरफ कर रोजाना के कामो में इस तरह खो जाते है जब कोई पूछता है आपका क्या सपना है ! तब याद आता है अरे हां ,हमारा भी कोई सपना था जो अब नहीं है क्यूंकि समय ,इच्छाएं ,मन सब बदल जाते है। यहाँ तक की ये भी भूल जाते है की सपना क्या था ,क्या बनना था ,क्या करना था उसे।
ये हक़ीक़त भी है 10 साल वाला सपना ,20 साल वाला सपना फिर 30 और फिर 40 उम्र के इन पड़ाव में सपने भी बदल जाते है। क्यूंकि वो सपना ही क्या जो हमें खाने को पीने को ना दे या जिनसे हमारी ज़िन्दगी ना चले।
आज की जनरेशन अपना पैशन फॉलो करना बखूबी जानती है। क्यूंकि पिछली जनरेशन जानती है सपनो को भुला देना या भूल जाना कैसा लगता है।
अपने सपनो को जानो, उनका पीछा करो, उनको पूरा करो जैसे शब्दों को पढ़कर सपने ना रखने वाले या अपने सपनो को भुला देने वाला इंसान अक्सर बेचैन हो जाता है। इंस्टाग्राम को 30 मिनट भी स्क्रॉल कर लिया तो लगता है भाई पूरी दुनिया अपने सपनो को पूरा कर रही है सिवाए मेरे। ऐसे में वो परेशान हो जाता है की मैं क्या करू मैं तो 40 साल का हो गया हु मेरा सपना क्या था ये वो।
कहते है वो ज़िन्दगी ही क्या जिसमे कोई सपना ना हो। लेकिन हक़ीक़त इन सब से परे होती है। अपनी इस ज़िन्दगी को छोटे छोटे कम्प्रोमिसेस के साथ जीना ये हम सभी की प्रिऑरिटीज़ होती है। इसके बाद जगह बचती है तो वो है सपनो की। जिन्हे बहुत कम लोग पूरा कर पाते है वो भी तब जब साथ मिल जाए।
सपने देखना और उन्हें पूरा करना दोनों ही बहुत अलग रास्ते है।
उन लोगो के लिए मेरा एक संदेश है जिन्हे अपने सपनो का नहीं पता या जो भूल गए है की उनके सपने क्या थे। बेफिक्र होकर जिए। इस बात की तो चिंता बिलकुल मत करे की आपके सपने नहीं है। खुश रहे की आपकी ज़िन्दगी तो है। ये तो वो बात हो गई सपने नहीं तो ज़िन्दगी नहीं।
सपनो से ज्यादा ज़िन्दगी के अनुभव हमें जीना सीखाते है। ऐसा ना होता तो आधे से ज्यादा दुनिया ख़तम हो गई होती। जिनके पास सपने नहीं है उनके पास पूरी दुनिया है आजमाने के लिए। कुछ नहीं ,सबकुछ है करने के लिए।
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