कैसे जेन जेड सुंदरता का चेहरा बदल रही है ?
शक्ल के साथ अक़ल का होना रेयर चीज़ को पाने जैसा है।
एक बार फिर से बीते कई सालों से शकल की सुंदरता का सेंसेक्स ऊपर चढ़ रहा है। लेकिन इस बार के समय में इसकी टक्कर दुनिया की बेहतरीन चीज़ो में से है। वो है सही ज्ञान। जैसे की – मैं जैसी हु खूबसूरत हु ,मैं लायक हु ,मेरा भी वजूद है ,तुम जैसी/जैसे भी हो मुझे बहुत पसंद हो ,योग्यता का होना ,आत्मनिर्भरता का होना और सबसे अच्छा है आत्मविश्वास का होना।
ये ऐसे उदहारण है जिसे आज का जवान खूबसूरती के आलावा खुद में और दुसरो में देखता है। आज के युथ के लिए खूबसूरती प्रायोरिटी हो सकती है लेकिन पहली प्रायोरिटी खूबसूरती हो ये जरुरी नहीं।
खूबसूरती बिलकुल ऐसे है मानो एक दम नया घर। एक समय आता है जब उस घर का लुक पुराना हो जाता है लेकिन इससे उस घर की मेहता कम नहीं हो जाती और ये बात उस घर में रहने वाले लोग बखूबी बता सकते है।
ये तो चीज़ो की बात हुई। पुरानी हुई तो नई लेली। लेकिन इंसान का क्या !
कहते है हमेशा के लिए कभी कुछ नहीं होता और ये १०० आना सच है।
आज के युथ का एक हिस्सा सबकुछ जानकर भी इस खूबसूरत लगने वाली चिड़िया को पाने को उत्सुक है। उम्र से पहले जिम जाना ,हार्ड एक्सरसाइज करना ,तरह तरह की सर्जरी कराना।
अच्छे खासे पढ़े लिखे होने के बावजूद , वो भी आज के डिजिटल जैसे युग में जहां एक टच पर सूचनाएं भरमार है , इस भ्रम का शिकार है। नुक्सान को अनदेखा कर आगे बढ़ तो रहे है लेकिन सिर्फ एक खोखली दुनिया में।
मेरी अपनी छोटी बहन जो मुझसे 10 साल छोटी है एक इंस्टग्रामेर है। सोसिअल साइट्स पर वो काफी अपडेट रहती है लेकिन बाहर की असली दुनिया से उसे इंटरैक्ट होना नहीं आता। क्यूंकि इनसे कैसे क्या कब बात करनी है उसे नहीं समझ आता। सोशल साइट्स के सभी चेहरे उसे पसंद है लेकिन बाहरी दुनिया में उसे कभी कोई पसंद नहीं आता। अच्छे बुरे इंसान की समझ नहीं आती लेकिन हां सोशल साइट्स पर कौन अच्छा है और कौन बूरा ये उसे पता है फिर भले सामने वाला बेवकूफ ही क्यों ना बनारा हो।
मैं इक्कीस साल की थी तब मैने पहली और आखरी बार खूबसूरती में धोखा खाया था। और मेरी मदद खूबसूरती के बिलकुल अपोजिट उन लोगों ने की थी जिनसे मैं बात करना भी पसंद नहीं करती थी। कॉलेज के आखिर तक ये मेरे काफी अच्छे और मददगार दोस्त बने रहे।
मैं किसी को जज नहीं कर रही बस अपना अनुभव बता रही हु। अपनी लाइफ में कुछ ऐसे खूबसूरत लोगों से भी मिली हु जो सीरत से भी बेहद खूबसूरत साबित हुए।
इस बात का इत्मीनान भी है की आज के लोग जानते है किसी को भी रंग ,रूप को लेकर कुछ भी गलत कहना सही नहीं है और सामने वाले को भी अपने सही वजूद के लिए लड़ना आता है। अब वो समय नहीं रहा की आप किसी के रंग – रूप को लेकर कमैंट्स कर दे और सामने वाला रो दे ,नहीं ये मुँह तोडना जानता है।
स्क्रीन के पीछे बैठकर दुसरो को भला बुरा कहने वाले लोगों को तो मैं दुनिया की सबसे घटिया चीज़ो की श्रेणी में रखती हु। जीव की तो किसी श्रेणी में ये आते ही नहीं।
आज की लड़कियों पर मुझे बहुत गर्व होता है। वो भले ही पतली हो या मोटी ,रंग -रूप, कद-काठी में कैसी भी हो जिस तरह से ये धरती की अप्सराये खुद को कैर्री करती है लाजवाब लगती है। इनका आत्म-विश्वास काबिले तारीफ़ होता है।
और लड़के जिस तरह से ये अब लड़कियों को और उनकी जरूरतों को समझने लगे है तारीफ़ के काबिल है।
जन -ज़ और इसके बाद की जनरेशन जिसने डिजिटल युग में कदम रखे है अपना ख्याल रखे। बहकने के लिए बहुत कुछ है यहाँ लेकिन खुद को सँभालने के लिए आप और आपके अपने है बस।
ज़िन्दगी को खुलकर जीये, अपनी शर्तो पर जिए लेकिन कटी पतंग की तरह नहीं जिसकी कोई लगाम नहीं और कोई मुकाम नहीं।
समय समय पर खुद को खोने का नहीं खुद के होने का एहसास दिलाते रहे। माय रूल माय लाइफ कह देने से सब साफ़ नहीं हो जाता। इसे खुद से भागना कहते है।
चिंता करने की या तनाव लेने की जरुरत नहीं है। असफलताएं ज़िन्दगी का मामूली सा टुकड़ा है। तुम्हे जीवन मिला है ये अपनेआप में एक वरदान है।
इत्मीनान के साथ चलते रहना क्यूंकि पाने को बहुत कुछ हो सकता है लेकिन खोने को सिर्फ आप है और आपकी कहानी यहीं खत्म हो जाती है।
आप जानते है किसी ने कहा है the future is gonna be okay…then indeed it.