दिन से सप्ताह ,महीना फिर साल निकल जाता है और हम कहते है अरे ! अभी तो लगा था 2024 इतनी जल्दी निकल भी गया।समय घोड़े पर सवार होके भागे चला जाता है। पीछे बस यादें और सीख रह जाती है।
सबसे बड़ी बात जो मैने सीखी है वो ये की सबकुछ आपके हाथ में नहीं है। कुछ चीज़ें कई बार की कोशिशों के बावजूद भी परिणाम ना दे तो उसे ईश्वर के हाथों छोड़ देना बेहतर होता है। उसे पता है चीज़ो को आपके लिए कैसे ठीक करना है। उसपर विश्वास करे। ये बेहद खूबसूरत काम है।
दूसरी बात चीज़ो को हालातो को और इस समय को स्वीकार करे। मुझे खुद इस स्वीकार करने जैसे शब्द को सीखने में काफी समय लगा। बहाने लगाना हमारी आदत है। लेकिन एक समय आता है जब आपको पता चलता है बहाने और वास्तविकता के बारे में। उस दिन से चीज़े साफ़ नज़र आने लगती है।
तीसरी बात हमारा खुद पर नियंत्रण नहीं होता है तो भला दुसरो पर हम ये कैसे कर सकते है। मैने कहीं पढ़ा था “बुरे लोग समझाने से समझ जाते तो बांसुरी बजाने वाला इतना महान आदमी ( भगवान् श्री कृष्ण ) महाभारत ( हिन्दू पुराण ) कैसे होने देता। ” और ये बात मुझे घर कर गई।
चिंता करना ,डिप्रेशन में जाना ,हर वक़्त परेशान होना इन सब से कभी कुछ हल नहीं होता। हमारे पास हमारा शरीर होता है जो कुछ भी है। ये नहीं तो सब कुछ यही धरा रह जाना है। इसका ख्याल रखे।
जो लोग आपको प्यार करते है उनकी कद्र करे उन्हें प्यार दे नाकि उन चंद दिनों के मेहमानो को जिनसे आप रोजाना सोसिअल साइट्स पर रहते है। क्यूंकि इनका आना जाना लगा रहेगा लेकिन आपके परिवार के लोग बस यही है जो है।
अपनी ज़िन्दगी का हमेशा शुक्रिया करते चलो। अब तक जो मिला है उस सबकुछ के लिए ईश्वर को धन्यवाद देते चलो। हक़ीक़त ये है हमारे पास होता बहुत कुछ है लेकिन ना होने वाली चीज़ो के पीछे हमें कुछ दिखाई नहीं देता।
बच्चों की कहानियां और उनसे मिली सीख को हम बच्चों को समझने को कहते है। वो तो फिर भी एक बच्चा है लेकिन हम बड़े है और समझदार भी।