नायाब रिश्तों की शुरुआत और उनका अंत ,आपके लिए क्या मायने रखता है ?

Hindi Article नायाब रिश्तों की शुरुआत और उनका अंत ,आपके लिए क्या मायने रखता है ?
नायाब रिश्तों की शुरुआत और उनका अंत ,आपके लिए क्या मायने रखता है ?

नायाब रिश्तों की शुरुआत और उनका अंत ,आपके लिए क्या मायने रखता है ?

“एक असाधारण रिश्ता वह नहीं होता जिसकी शुरुआत अच्छी हो, बल्कि वह होता है जिसका अंत अच्छा हो।रिश्ते अक्सर दुर्घटनावश शुरू होते हैं, लेकिन जब उन्हें खत्म करने की बात आती है, तो हमारे पास आमतौर पर विकल्प होते हैं। अंत को समझदारी से चुनें।”
हैनिम सुनिम की किताब थे थिंग्स यू कैन सी व्हेन यू स्लो डाउन के चैप्टर फर्स्ट लव की लास्ट लाइन्स है।

बहुत ही अच्छी बुक है। जिन्हे समय को थोड़ा रुक कर देखने की और समझने की आदत है उनके लिए ये बुक बहुत अच्छी है। ये लाइन्स मुझे बहुत अच्छी लगी क्यूंकि इस चैप्टर में खुद ऑथर ने अपने पहले प्यार का अनुभव शेयर किया है और प्यार जिन भी लोगों की ज़िन्दगी में कभी आया उन्हें पता है ये काफी नाजुक एहसास होता है वो भी एक ताज़े फ़ूल जैसा।

प्यार हर रिश्ते में होता है और होना भी चाहिए। मैं यहाँ कपल्स वाले प्यार की बात करू तो मैं दावे के साथ कह सकती हु हर इंसान की ज़िन्दगी में एक बार जरूर भले ही कुछ समय को लेकिन ये नाजुक फूल वाला प्यार होता है।

प्यार सच में कभी सोच समझ कर नहीं किया जाता। अगर किसी ने ऐसा किया भी है तो मैं निश्चित हु परिणाम उस इंसान को मन-मुताबिक तो बिलकुल नहीं मिला होगा।

रिश्तों की शुरुआत होना आसान होता है क्यूंकि उस वक़्त ये बिना किसी उम्मीद के आज़ाद पंछी जैसा होता है। लेकिन इन पंखो पर बोझ के कारण रिश्तों का दुखद अंत भी हो जाता है। इस शुरुआत और अंत के बीच में एक लम्बा फासला होता है जो बहुत कुछ बयां करता है।

कहावत है ,” कभी कभी गलत रेलगाड़ी आपको सही स्टेशन पर ले जाती है।” रिश्तों के सुखद अंत के लिए ये कहावत सटीक बैठती है। मेरा अपना रिश्ता भी कुछ ऐसे ही शुरू हुआ था एक ग़लतफ़हमी के साथ लेकिन फिलहाल 10 सालो बाद भी हम साथ है। बाकी सभी की तरह हमारे रिश्ते में भी उतार – चढ़ाव आये लेकिन एक बात जिसने इस रिश्ते को बनाये रखा वो ये की जब भी बात बिगड़ने लगती हम दोनों में कोई एक रिश्ते की डोर थामे रखता। वो वक़्त मुश्किल होता था लेकिन अब जब पीछे मुड़कर देखते है तो अनुभव होता है की कितना कुछ सीखा हमने और इस रिश्ते को मजबूत किया है। बचकानी हरकते भी हो जाती थी लेकिन सब्र ने बहुत कुछ सिखाया।

रिश्तों में समझौते दोनों तरफ से हो तभी ये कायम रहता है। प्रक्रिया अपनेआप में बहुत मायने रखती है। सिर्फ रिश्तों में नहीं ज़िन्दगी के हर मोड़ पर पल पल चुनाव करने होते है। ऐसा नहीं है कि हर चुनाव सही हो, कभी कभी गलत फैसले बहुत दूर ले जाते हैं लेकिन ये अब आप पर निर्भर करता है आपको क्या करना है।

रिश्तों का अंत सुखद हो या दुखद ये हर इंसान का उसका अपना फैसला होता है और ये उसके अपने नजरिये पर निर्भर करता है। एक लिए ये सुखद हो सकता है लेकिन दूसरे के लिए ये दुखद होता है। अगर किसी ने अपनी ख़ुशी के लिए रिश्ते का अंत किया है तो यहाँ भी उस इंसान के फैसले का सम्मान है क्यूंकि आखिर में हम सभी खुश ही तो रहना चाहते हैं।

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