
दोहराती गलतियों से कब और क्या सीखा जाता है ?
कभी कभी सोचती हु की इससे बूरा और क्या हो सकता है ? लेकिन जल्द ही जवाब भी और बूरा चौकाने वाला होता है।
कभी भूल कर भी मत कहो की आपके लिए कुछ भी असंभव नहीं। क्यूंकि ईश्वर फिर हर वो आजमाइश से आपको गुजारता है जहाँ सम्भवता की गुंजाइश हो सकती है लेकिन आपका गुरुर टूटने के बाद।
जब ज़िन्दगी में बार बार नाकामयाबियां हासिल होती है तो भले इंसान एक बार को पूरी तरह टूट जरूर जाता है लेकिन इसका तजुर्बा उसे ,प्रसिद्ध मूवी हैरी पॉटर के उस फीनिक्स पक्षी की तरह हो जाता है जो भस्म होकर फिर बनता है उसी राख से जिसे पता है इन सब से गुजरना ही मेरी कामयाबी है।
एक चीज़ और मैने अपनी अभी तक की ज़िन्दगी में सीखी है की अपनी गलतियों से सीख लेना बहुत जरुरी है वरना ये बार बार दोहराती रहती है और हम कहते है ये सब मेरे साथ ही क्यों होता है।
बहुत बार कोशिश पूरी होती है लेकिन समझ नहीं आता गलती कहा हुई ,क्या गड़बड़ है जो बार बार यही हो रहा है। ऐसे में खुद पर ज्यादा दबाव ना बनाये तो बेहतर है क्यूंकि ये गलतियां कहती है “तुम वक़्त के साथ सब सीख जाओगे। आपका वक़्त के साथ बहना जरुरी है ,इसके विपरीत मत चलो। “
कभी कभी फ़्रस्ट्रेशन और इर्रिटेशन इतनी ज्यादा होती है की दिल और दिमाग दोनों हाथ खड़े कर देते है। यहाँ भी आपको रूकने की जरुरत है। ये बिलकुल हमारे शरीर के अपच क्रिया जैसा है। जब भी हमारी पाचन क्रिया खराब हो जाती है तो हम रूक जाते है और हल्का खाना खाते है ,पहले से ज्यादा आराम करते है ,खुद का ध्यान रखते है बस धीरे धीरे सबकुछ ठीक होने लगता है।
यही बात दिल और दिमाग पर लागू होती है। आपको एक लम्बे आराम की जरुरत है। और फिर सब कुछ ठीक है।
जब नादान थे तो अक्सर कहा करते थे ये असफलताएं और उदासियाँ नहीं होनी चाहिए। लेकिन इनसे गुजरने पर पता चलता है वास्तविकता से तो यही जोड़े रखती है हमें।
मुझे खुद इन सब की आदत हो गई है। अब ज्यादा फ़र्क नहीं पड़ता असफलता से। असफल होने पर महज़ कुछ घंटो का मौन रखती हु बस फिर निकल जाती हु अपनी मस्ती में क्यूंकि मेरी ज़िन्दगी असफलताओं की उदासियों की मोहताज़ नहीं है। इसके अलावा भी बहुत कुछ है मेरे पास करने को और कहने को।
सच कहु तो मैं अब ज़िन्दगी की तमाम छोटी छोटी लेकिन ढेर सारी चीज़ो से बहुत खुश होती हु। कुछ नहीं भी बन पाई तो भी इतना कुछ है करने के लिए की मेरी ज़िन्दगी भी छोटी पड़ जाएगी।
आपको ज़िन्दगी को जीने की जरुरत है ,ना की इसे गुजार देने की।