ज़िन्दगी मुश्किल सवाल पूछे तो आपको क्या करना चाहिए ?
ज़िन्दगी मुश्किल सवाल पूछे तो जवाब देने का हौसला जरुरी है।
स्कूल के दिनों में अक्सर हम सोचा करते थे कैसा हो अगर परीक्षा नहीं होती तो क्यूंकि उस वक़्त वो परीक्षाएं ज़िन्दगी की परीक्षाएं लगा करती थी। कम नंबर आने पर ईश्वर से हाथ जोड़कर इस तरह प्रार्थना की जाती थी मानो परिणाम एक चमत्कार से बदल जायेगा अभी। उस वक़्त ज़िन्दगी और मौत का सवाल होता था लेकिन अब याद करते है तो हसीं आती है इन यादों पर।
उस वक़्त परीक्षाएं हर हाल में देनी होती थी चाहे जितना आये करना पड़ता था। पेपर को बार बार आगे पीछे करके देखने में कुछ याद भी आ जाता था। सही के लिए सुकून और गलत के लिए थोड़ी चिंता बनती ही थी। लेकिन जो होता देखा जाता था।
यही भाव होता है जब सामान्य जीवन में समस्या सामने आती है। उस वक़्त भले ही उपाए ना सूझे। लेकिन उस परीक्षा की तरह अगर ठान ही ले तो ज़िन्दगी की समस्याओ के लिए भी समाधान निकलने लगते है। अमूमन समस्या के भीतर ही उपाए भी छुपा होता है।
समाधान ,समस्या के साथ ही आता है। और ये वाकई में सच भी है।
खोजना ,पाना और स्थितियों को उलट पलट कर अपने पक्ष में कर लेना बेइन्ताह ख़ुशी और इत्मीनान देता है। मुझे याद है मैं एक फ्रॉड में फ़स गई थी। जब तक पता चला काफी देर हो गई थी। लेकिन कुछ तो करना ही था। ऐसे कैसे एक फ्रॉड के कारण अपनी ज़िन्दगी बर्बाद होने देती और जब बात परिवार पर आई तो मैने अकेली ने जी जान लगा दी थी उससे निकलने के लिए।
जिसे भी बताया उसने मजाक बनाया। इसलिए अब जो कुछ करना था खुद को करना था। सही कहते है मुसीबत में अपनों और गैरो का पता चलता है। ईश्वर की शुक्र गुजार हु की मैं उस फ्रॉड से सही सलामत निकल पाई। उन दिनों मुझे अपनी मजबूती का पता चला था। अगर हम ठान ले तो दिमाग तमाम तरह के समाधान आपको देने लगता है और आपको बस उन्हें आजमाना है।
आज का समय बहुत ही दमदार है। आपकी मदद के लिए बहुत सारे ऑप्शन है। बस आप जानते हो इन्हे कैसे उपयोग करना है।
मुसीबतें हमेशा सीख ही देने आती है बर्शते हमें पता हो की क्या सीख लेनी है। पीठ पलट लेने से कंधो पर वजन ही बढ़ना है। इसलिए बेहतर हो मुसीबत से लड़ा जाए।
ऐसा करने से क्या होगा ,मुझे नहीं लगता इससे कुछ होगा आदि कहने की बजाये कोशिश की जाए। क्या पता अभी जो ना काफी लग रहा हो उसी से बात बन जाए।
कुछ हो ना हो ,सामना करने का हौसला आत्मविश्वास दे जाता है। तो भला मुसीबतें बुरी कैसे हुई।
दूरियां बताती है की वस्तु या व्यक्ति कितना अजीज है। झगडे बताते है की सुलह का समझबूझ का क्या महत्व है। सोसाइटी के फ्लैट्स बताते है की गांव के बड़े आँगन वाले नीम-आम के पेड़ वाले घर भी जरुरी है। अपनों से नाराजगी होती है तो सुलह के रास्ते निकालने पड़ते है।
और सबसे बड़ी बात मुश्किल घडी में हम खुद से भी रु-बा-रु हो जाते है।
Nice article🌻