ये बोरियत कंसिस्टेंसी बहुत काम की चीज़ होती है। आप अपना काम करते हुए लगातार बने रहो और बाकी सब ईश्वर के हाथों छोड़ दो। ( विराट कोहली )
ये बात भारत क्रिकेट टीम के फॉर्मर कप्तान विराट कोहली ने हस्ते हुए मैच के बाद एक इंटरव्यू में कही।
घोड़ो को हम रेस के लिए तैयार कर सकते है लेकिन हार जीत ऊपर वाले के हाथ में होती है।
अभी हाल ही का जो क्रिकेट विश्व कप हुआ था उसमे भारत ने शुरुआत से एक भी मैच बिना हारे फाइनल तक पहुँच की। सबको पक्का यकीं हो चला था इस बार का विश्व कप भारत जीतेगा लेकिन फाइनल में ये ऑस्ट्रेलिया से हार गया। इसे कहते है ईश्वर की मर्जी।
ये बहुत बड़ा सच भी है। किसी का भाग्य पहले नंबर पर जाग जाता है तो किसी का भाग्य १००वे नंबर पर जागता है। आपके और मेरे हाथ में हमारी लगातार की गई मेहनत होती है। कब रंग ला जाए वक़्त की बात है।
एक बात और मैने नोटिस की कुछ लोग कहते है एक ही चीज़ के पीछे पड़े रहो मिल ही जायगी।
लेकिन कुछ लोगो का अनुभव है और मेरा भी अनुभव है जब आपने अपनी ज़िन्दगी का एक बड़ा हिस्सा किसी चीज़ को पाने के लिए गवाया है फिर भी अभी तक वो तुम्हे नहीं मिली है तो बेहतर होता है अपनी ऊर्जा वहा से हटा लेना। ऐसे में हम जितना उस चीज़ के नज़दीक जाने की कोशिश करते है वो हमसे २ कदम और पीछे चली जाती है। क्यूंकि उस चीज़ की हमें कमी खलती रहती है और यही ऊर्जा हमें उससे दूर करती है।
मैने पढ़ा था एक जगह -चीज़े जो हमसे छीन ली जाती है उन्हें ईश्वर हमें वापस लौटाता भी है लेकिन खुद के तरीके से ना की जैसा तुम चाहते हो। हमें उन्हें बस समझने की जरुरत होती है।
मुझे याद है जो भी काम मैने lockdown में शुरू किए थे lockdown खुलने के बाद उन्हें पुरे नहीं किए। उन कामो में लगातार नहीं रही। जबकि वही काम दुसरो ने लगातार करके खूब कमाई की और मुझे लगातार बने ना रहने पर पछतावा हुआ।
हम लोगों में अब सब्र रहा कहा है। स्क्रॉल करने की तरह काम के होने की उम्मीद करते हैं।
कंसिस्टेंसी बोरिंग हो सकती है और होती भी है लेकिन हर एक को इसका फल मिलता भी जरूर है।
हम लगातार रहते क्यों नहीं है क्यूंकि इस कंसिस्टेंसी में हम निश्चित नहीं होते। निश्चित नहीं होते की जिस भी काम को हम लम्बे समय से कर रहे है बिना किसी लाभ के, इस उम्मीद में की आगे लाभ मिलेगा लेकिन निश्चित नहीं है।
निश्चित नहीं होते जो बलिदान आज देंगे उसके लिए पछतायेँगे नहीं। घर ,सुकून,प्यार ,साथ ,मस्ती बहुत कुछ दाव पर लगाकर कंसिस्टेंसी की जाती है। और जब मन मुताबिक परिणाम नहीं मिलता तो यही कंसिस्टेंसी बीच में छोड़ दी जाती है।
वजह हम सब की भले जो भी हो लेकिन फिर भी सभी से यही कहूँगी – कर्म किए जा फल की इच्छा मत कर। (गीता की लाइन है। )
मन में विश्वास के साथ जो शुरू किया है उसे पूरा करना ही है। लगातार बने रहना है। भले ही थोड़ा रुक कर फिर से चलो लेकिन लगातार रहो। हमें वो सब मिलता है जिसकी हमें चाह होती है लेकिन अलग तरीके से।
कभी कभी हमारे सपने कुछ अलग तरह से किसी और ही सूरत में पूरे होते है। लेकिन पूरे होते जरूर है।
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