क्या ज़िन्दगी में सिर्फ सीरियस होकर ही कुछ हासिल किया जा सकता है ? ( फाइनल )

यहाँ कॉलेज लाइफ के बाद या तो शादी हो जाती है या फिर जिसकी सरकारी नौकरी लग गई वो भी कुछ साल तो नौकरी करता है और फिर उसकी भी शादी हो जाती है। ये है सीरियस भेड़ -चाल।

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लेकिन अगर आप इस भेड़ चाल के बाहर की बात सोचते हो तो ज़िन्दगी बेहद ही सीरियस मोड़ ले लेती है।कई तरह से जैसे की अपनी पसंद का कैरियर ना चुन पाना ,सपने पूरे ना कर पाना ,जबरदस्ती शादी करा देना ,कई पछतावो को पाल लेना ,हर वक़्त बीते कल के बारे में सोचना ,मन मारकर वो करते रहना जिसकी हमें आदत नहीं है ,अकेला महसूस होना ,घर वालो से नाराजगी , सब कुछ छोड़कर दूर चले जाने की इच्छा ,सबसे दूरी बनाकर रखने लग जाना और भी बहुत कुछ।

अब ज़िन्दगी को सीरियस लेके बैठ जाने से हल नहीं निकलने वाला। हल है कुछ करना। लगभग 20+ के बाद और 30+ की ज़िन्दगी स्कूल और कॉलेज लाइफ से एकदम अलग होती है। या यू कहे वो बस मजे के दिन थे। ज़िन्दगी के असली इम्तहान कुछ अलग ही होते है। हमारी सोच के परे।

अनुभव जो मैने लिए :

पढाई पूर्ण करने के बाद नौकरी लगने का इन्तजार या शादी होने तक कोई भी काम करते रहे। जरुरी नहीं की आपकी फील्ड का हो। बहुत से काम है आज। कोई भी पार्ट टाइम या फुल टाइम काम करते रहे।

अपने परिवार के साथ वक़्त बिताते रहे। मुझे याद है कॉलेज लाइफ के दौरान मेरा जयादातर समय बाहर निकलता था। अपने परिवार के साथ सभी बातें शेयर करते चले बजाये कुछ भी एक दम से बताने के।

किसी को पसंद करते है तो घर में सबसे उसे मिलवाये। इससे आप दोनों सिक्योर हो जाते है। भविष्य में बड़ी गलती होने से बचाव हो जाता है। बाकी सब समय पर छोड़ दे।

बड़ी ओप्पोर्तुनिटी के इन्तजार के बदले छोटी छोटी ओप्पोर्तुनिटी आजमाते चले। बड़ी के इन्तजार में छोटी ओप्पोर्तुनिटी भी हाथ से निकल जाती है। ऐसा करते वक़्त खुद पर विश्वास रखे।

कैरियर में छोटे छोटे जोखिम उठाना सीखे ताकि बड़े जोखिम से बच सके। महान लोगो की जीवनी भी यही कहती है।

किताबे पढ़े। आज की सोशल लाइफ को देखते हुए ये बहुत जरुरी है। किताबे पढ़ना अपने आप में एक मैडिटेशन है। और ये बहुत ही कमाल का है। इसके इतने फायदे है की आप सिर्फ 3 दिन पढ़के ही जान सकते है।

अपने अंदर का बचपना कभी ना मरने दे। जब मन हुआ नाच लिए ,गा लिए ,बारिश में झूम लिए ,पुराने दोस्तों के साथ कभी घूम आये ,पुराने टीचर्स से मिल आये ,अपने बच्चो के साथ बच्चा बन खेल लिए और भी बहुत कुछ। ये आपको जवान और जिन्दा रखते है।

पछतावो को इकट्ठा करने की बजाये अच्छी यादें इकट्ठी करे।

प्रकृति के नजदीक रहे। ये मेरा दूसरा मैडिटेशन है किताबो के बाद। कही पढ़ा था “इंसान की ज़िन्दगी उस खुले नीले बड़े आसमान जैसी होती है ,क्यूंकि गम के बादल और ख़ुशी के बादल तो आते जाते रहते है ज़िन्दगी में। “
“प्रकृति बदलाव का नाम है। हर मौसम इसका बदलना जरुरी है। हमें भी जीवन की परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढालते रहना चाहिए। “

सपने हमेशा देखो। उस इंसान की ज़िन्दगी बेरंग होती है जहा सपनो की कमी होती है।

खुदको लेकर और इस ज़िन्दगी को लेकर इतना भी सीरियस मत हो की दिल और दिमाग रो दे। एक समय आता है जब आप इन सब से कही ऊपर निकल जाते हो और जब पीछे मुड़कर देखोगे तो खुदको शाबाशी देना अब तक बने रहने के लिए।

आपको सच में बहुत मजबूत बनाया गया है। शुक्रिया आपका अब तक का अपना बेस्ट देने के लिए।

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