आभार ले लेगा शिकायतो की जगह, बस समझने की जरुरत है।
हमें अक्सर लगता है काश की वो चीज़ और होती हमारे पास तो बस ज़िन्दगी सेट थी हमारी। हमारी ख़ुशी हमेशा काश में अटक कर रह जाती है। हम सभी की ज्यादातर शिकायतें जो नहीं मिला उसको लेकर रहती है बजाये जो है उसका तबस्सूर करने के।
ओशो के शब्दों में ,”जो घटित हो उसका स्मरण रखे और जो घटित ना हो उसको याद ना रखे। बिलकुल याद वही रहे जो हुआ है ,जो नहीं हुआ उसे याद कर खुद को तकलीफ क्यों देनी है। थोड़ा सा भी कण अगर शान्ति का लगे तो उसे पकड़ लो। वह आपको आशा देगा और गतिमान करेगा। अगर आपने ऐसा नहीं किया तो आपकी गति अवरुद्ध हो जाएगी और जो हुआ है वो मिट जायेगा।”
मेरे बचपन की एक बेहद खूबसूरत याद है अक्सर छुट्टियों में मम्मी हमें नानी के यहाँ ले जाया करती थी बाकी सभी बच्चो की तरह। वहाँ लाइट बहुत ही कम आती थी। (यहाँ के गावों में आज भी यही हाल है।) रात में लाइट के जाने पर मैं छत पर नहीं जाती थी क्यूंकि मच्छर बहुत खाते थे वहाँ। एक बार लाइट के जाने पर मेरी कजिन ने कहा चल छत पर तुझे कुछ दिखाती हु। बहुत मना करने के बाद मैं चली गई। उसने छत पर ले जाने तक और मुझे पलंग पर लेटाने तक मेरी आँखे बंद रखी। जब उसने मुझे आँखे खोलने को कहा तो मानो मैं ब्रह्माण्ड में थी।
गावों में पोल्लुशन भी कम होता है और बात भी बहुत पहले की है। तारों से एक दम भरा हुआ, आकाश गंगा का साफ़ दिखाई देना ,सोने तक कई टूटते तारों का दिखता वो आसमान मुझे आज भी याद है। उसके बाद उस खूबसूरत आसमान को देखते हुए मैं कब सो गई मुझे नहीं पता। लेकिन वो नज़ारा मेरे दिल-दिमाग में आज भी एक दम नया है। उस वक़्त मेरी कजिन को मैने सिर्फ इतना ही कहा की “ये कितना खूबसूरत है। “लेकिन उस रात के लिए मैं उसे आज भी तहे दिल से शुक्रिया कहती हु।
अब भी कभी जाना होता तो है लेकिन तारों से भरा वो आसमान अब कम हो गया है।
जो मिला है उसके प्रति हम आभार से भर जाए ,उसको स्वीकार करले तो जो घटित नहीं हुआ ,जो ना मिल सका ,उसकी याद रहेगी ही नहीं। और अगर जो नहीं मिला उसे याद करते रहे तो जो मिला है उसकी याद भी जाती रहेगी।
ये कुछ ऐसे है जैसे की हम अक्सर कहते है जो पास है उसे सवांर ले ,ना जाने कब खो जाए उसे सवांरने का मलाल भी रह जाए।