क्या आपको लगता है कि आपके माता-पिता की पीढ़ी का जीवन आपसे बेहतर था ?
दुनिया की तमाम माँओ को मेरा नमस्ते और सलाम।
पहले कभी कोई मुझसे पूछता मेरी माँ के लिए तो मैं कहती जैसे सब की होती है बहुत अच्छी। बस यही कहती। लेकिन अब पूछे तो कहूँगी बहुत ही मजबूत। कम से कम हमारे रिश्तेदारों में तो कोई नहीं है।
मुझे अपनी माँ की बड़ी सोच रखने वाली मजबूती का तब पता चला जब मैं 8th स्टैण्डर्ड में थी। मेरे एक सवाल का जवाब देते हुए माँ ने कहा की ” मेरी बच्ची, समाज अलग से कुछ नहीं है। ये समाज और इसके नियम अपने ही बनाये हुए है और आपन ही इसमें उलझे हुए है। “ मुझे याद है माँ का वो चेहरा कितनी बेबाकी से उन्होंने ये शब्द कहे थे। उस वक़्त ना जाने क्यों ये शब्द मेरे दिल -दिमाग में इस तरह बैठे की आज तक गूंजते है।
मेरा स्कूली जीवन गाँव में ही बीता है। इसलिए भी माँ की ये बात उस वक़्त चौकाने वाली थी। और देखा जाए तो आज भी ये बात उतनी ही मायने रखती है।
जब अपने ही बच्चों द्वारा माँ -बाप गलत ठहरा दिए जाते है ,बच्चों की मनमानी जब बच्चो को ही ले डूबती है इसके बाद भी जब माँ बच्चो को बिना कुछ कहे उतनी ही फ़िक्र और प्यार से अपनाती है तो ज़बान पर ताला लग जाता है बच्चों के। क्यूंकि इसकी भरपाई तो वो लोग शायद ही इस जन्म में चूका पाए।
पहले मुझे इस बात पर अचम्भा आता था की बच्चे कितने भी बड़े हो जाए माँ -बाप के लिए वो उनके बच्चे ही रहते है। अपने ४० साल के बच्चे की सेवा भी वो ऐसे करती है मानो ४ साल का बच्चा है।
माँ का दिल नरम जरूर होता है लेकिन जब अपने बच्चो की गलती सुधरवानी हो तो सख्ती पापा से ज्यादा रखती है।
माँ का स्वभाव बहुत नरम दिल है। भोला और प्यारा। पहले मुझे गुस्सा आता था की मैं स्वभाव से माँ पर क्यों गई हु लेकिन समय के साथ इस स्वभाव के कारण मुझे बेइंतहा प्यार मिला है। मुझे नाज है इस स्वभाव पर।
मैं अपनी माँ को गौर से सुनती हु। हम कहते है पहले के लोग ऐसे थे वैसे थे ,ये वो। लेकिन जरुरी नहीं है यही सच है। अपनों को सुनोगे तो पता चलता है की हमारी जैसी सोच रखने वाले लोग पहले भी बहुत थे। उनकी और उनसे पहले के भी बहुत से लोग खुले विचारों वाले थे। दुनिया एक रात में नहीं बदल गई।
मेरी माँ अपने समय की आखरी क्लास ५थ तक पढ़ी हुई है। लेकिन उनका अनुभव उन्हें पढ़े लिखे लोगों की सोच से कहीं आगे रखता है।
मेरी माँ को लड़ना झगड़ना नहीं आता ,ना ही गाली -गलोच करना आता और ना ही चतुराई करनी आती। लेकिन इन सब के बावजूद मुझे मेरी माँ की एक बात बहुत पसंद है साफ़ और सीधी बात करना। इसमें हमारे घर के बड़े हो या छोटे कोई नहीं जीत सकता उनसे। अपनी बात बहुत ही साफ़ और सीधे शब्दों में इस तरह से करती है की सामने वाले की बोलती बंद हो जाती है।
आज की जनरेशन बड़ी आसानी से कह देती है पहले के लोगों को कुछ भी सैक्रिफाइस नहीं करना होता था लेकिन आज बहुत ही सैक्रिफाइस करने पड़ते है। आज – जैसे की अपना फ़ोन 1 दिन के लिए बंद कर देना।
जनरेशन से जनरेशन फर्क तो मिलता ही है लेकिन इसका मतलब ये नहीं की पहले की जनरेशन का कोई योगदान ही नहीं। ऐसा होता तो हम सब आज यहाँ नहीं होते। जैसा की मैने कहा है दुनिया एक रात में नहीं बन गई।
हमारे पास समय की हमेशा शॉर्टेज होती है। लेकिन इतनी भी शॉर्टेज नहीं होनी चाहिए की आखिर में समय तो बच जाए लेकिन उस समय में साथ देने वाले कोई ना बचे।
जनरेशन तो बदलती रहती है लेकिन माता -पिता का प्यार सच में कभी नहीं बदलता। कोई कुछ भी कहले लेकिन आखरी समय में हम सभी की आखरी जरुरत प्यार और परिवार ही है।