
कैसे अपनेआप को बुरे विचारों में खोने से बचाये ? कैसे खुद को वर्तमान में रखे ?
कहीं पढ़ा मैने , Don’t suffer imagined troubles.be present. मतलब “कल्पित परेशानियों से पीड़ित न हों, वर्तमान में रहें।” जिसने भी ये बात लिखी है उसने इसे गहराई से समझा भी है।
सोचना हम इंसानो की ज्ञानिन्द्रिय में आता है। कहते है सोचने और समझने की शक्ति सिर्फ हम इंसानो के पास है लेकिन ये पूरी तरह से सही नहीं है। जानवर ,पशु पक्षी भी इस श्रेणी में आते है।
हमारे सभी काम सोचने पर शुरू होते है और इसी पर खत्म भी हो जाते है। अक्सर हम इंसान overthinking करते है। कभी कभी तो इसमें इतना खो जाते है की असल ज़िन्दगी से कट जाते है। ख़ास कर तब जब सोचने की दिशा पूरी तरह नकारात्मकता की और हो। आज हम इसी बारे में बात करेंगे।
Don’t suffer imagined troubles.be present. जब मैने ये बात पढ़ी तो मुझे एक सुकून मिला। अक्सर हम सभी की ज़िन्दगी में कुछ ऐसी अनहोनियां हो जाती है जो परिवार के हर सदस्य पर गहरी छाप छोड़ जाती है। ज़िन्दगी के कई मोड़ पर अक्सर ये पल याद आजाते है और दिल -ओ -दिमाग में हलचल कर देते है। मेरा भाई CA है। अक्सर ऑडिटिंग के दिनों में लेट आता है। उन दिनों मेरा दिमाग खराब हो जाता था कुछ भी सोच सोच कर। एक दिन मैने बैठ कर खुद को समझाया। खुद से बात की और तब से मैने खुद को नकारात्मक विचारो से दूर कर लिया है।
सकारातमक ख्याल अच्छी बात है लेकिन नकारातमक ख्याल जाने अनजाने में हमें नुक्सान दे ही जाते है। परिणाम देखने से पहले कोई नेगेटिव बोल दे और परिणाम नेगेटिव ही हो तो अक्सर बोलने वाले को खूब खरी खोटी सुनाई जाती है। फिर भले परिणाम पहले से यही तय था। घर के सदस्य के घर ना आने के या देरी हो जाने के कारण नेगेटिव खयालो की जो रेल बंधती है वो बेहद ही बेचैन करने वाली होती है।हमारी सेहत पर भी इसका बहुत नेगेटिव असर पड़ता है। ख़ास कर दिल पर जिससे अटैक आने का खतरा बन जाता है क्यूंकि गलत विचारो के खयालो में घुसने के बाद उससे जल्दी से बाहर नहीं आया जाता। अब के हालातों को देखते हुए कुछ भी सोच लेना लाजमी है लेकिन कब तक। कब तक आप इस तरह नेगेटिव सोच सोच कर खुदकी और सामने वाले की ज़िन्दगी को नुक्सान पहुंचाते रहेंगे। माना की हालात हमारे बस में नहीं होते लेकिन अपनों के लिए दुआ और सही विचार तो हमारे हाथों में है ना तो फिर नेगेटिव क्यों सोचना।
क्यूंकि यहाँ सबसे अच्छी बात ये है की हमारा अपने विचारो पर नियंत्रण हो सकता है। ये इतना मुश्किल भी नहीं है। जैसे की अपनों को बार बार फ़ोन करके परेशान ना करे। खुद का ध्यान ख़ुशी के पलो में या दूसरी जगह लगाए। अपना पसंदीदा शो या चैनल कुछ भी देखे। बार बार घडी ना देखे। खुद को प्रकृति के नजदीक लाये। ये आपको कभी निराश नहीं करेगी। विचार नेगेटिव आएंगे लेकिन अपना विश्वास मजबूत रखे। उस दिव्य शक्ति पर विश्वास रखे। अपने ईश्वर पर विश्वास रखे।
एक मज़ेदार बात बताती हु। मुझे कभी किसी सेलिब्रिटी पर क्रश नहीं आया। लेकिन पिछले कई सालों से एक इंसान है जिस पर मेरा क्रश है और अक्सर बुरे खयालो से ध्यान हटाने में वो मेरी मदद करता है। उसका तो कुछ नहीं जाता बस मैं नेगेटिविटी से बच जाती हु। मेरा होना या ना होना उसे नहीं पता लेकिन फिर भी मैं ईश्वर से उसके लिए प्रार्थना करती हु क्यूंकि जाने अनजाने में सही मुझे उससे मदद मिलती है और मैं उसकी बहुत बड़ी शुक्रगुजार हु। रही बड़े -बजुर्गो की बात तो उन्हें हमें संभालना है।
बस कुछ इस तरह से या जैसे भी आपको अच्छा लगे उन बुरे खयालो से खुद को बचाये जो अस्तित्व में नहीं है तो क्यों ऐसा वैसा बूरा सोचना और खुद को तकलीफ देना। मूड भी खराब होता है और इसका असर काफी लम्बा होता है। परिवार की खुशियां एक दूसरे पर डिपेंड करती है। परिवार में किसी एक का बीमार होना सभी का सुकून छीन लेता है। इसलिए खुद को खुश और पॉजिटिव रखे।
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