अब क्या है दीपावली का त्यौहार या दियो का त्यौहार ?

दीपावली ,दियो का त्यौहार !

Happy deepawali wish image and card in hindi language decorated with flowers and diyas
Happy deepawali wish image and card in hindi language decorated with flowers and diyas


मुझे बचपन से ही ये त्यौहार बहुत पसंद है।जैसे की ईसाइयों के यहाँ क्रिसमस है और मुसलमानों के ईद। भारत में त्योहारों की कमी नहीं है।

किसी भी बाहर से आये इंसान के लिए ये अजीब होगा की आये दिन त्यौहार होते है यहाँ। यहाँ की यही चीज़ मुझे बहुत पसंद है। मूड ज्यादा लम्बे समय तक खराब नहीं हो सकता।

जब मैं छोटी थी तो इस त्यौहार के आने के दो महीने पहले ही अक्सर अपनी बहन से कहती “दीपावली की खुश्बू आ रही है।”

त्यौहार के आने से पहले इसकी तैय्यारियाँ जोरों से शुरू हो जाती। जैसे की इन दिनों मेरे आस पास जो हो रहा है वो बताती हु।

जिन्हे लगता है उनके घर ज्यादा पुराने लग रहे है तो वो पेंट करा रहे है। हर घर की सफाई पहले से ज्यादा हो रही है। बेकार का पुराना सामान निकाला जा रहा है। इस वजह से एक दिन में सुबह से शाम तक 8 -10 कबाड़ी वाले चक्कर काट जाते है। धीरे धीरे घरों में जरुरत का नया सामान आ रहा है। बाजारों में तो खरीदारी जोरों पर है। बच्चे है की एक महीना पहले से ही 1-2 , 1 -2 करके पटाखे फोड़ने लगे है। जिनकी आवाज़ उदासी दूर कर देती है। गलियों में पहले से ज्यादा चहल पहल हो गई है।

इन दिनों आपका मूड ज्यादा लम्बे समय तक ख़राब नहीं रह सकता। त्यौहार होते ही इसलिए है। हर साल आते है नई रौशनी और उम्मीदों के साथ।

वहीं इन दिनों कुछ बुरे हादसे भी हो जाते है। जैसे की हमारे पड़ोस में किसी के यहाँ कोई गुजर गया है। आज ही न्यूज़ पेपर में आया था एक ही घर के 5 -6 बच्चों का एक साथ एक्सीडेंट हो गया। कुछ हादसे बेहद ही गहरे घाव दे जाते है। त्योहारों के आस पास हो जाए तो खुशियाँ भी बेरंग लगती है।

त्योहारों की एक बात और मुझे बहुत पसंद है। क्यूंकि भारत में हर धर्म के लोग रहते है। बिलकुल हमारे मोहल्ले में 4 मुस्लिम परिवार के घर है। पहले मैं इनके घर नहीं जाती थी। लेकिन 3 साल पहले मेरे मम्मी -पापा ने बताया की दादाजी हर दीपावली पर इन घरो में त्यौहार की मिठाई भी देकर आते और उनके परिवारों को ख़ास दिनों में घर पर आमंत्रित भी किया जाता है। बस इसके बाद से अपने परिवार के साथ मैं भी उनके वह जाने लगी और ये वाकई में बेहद खूबसूरत एहसास है।

लोगों को कहते सुना है अब वो बात नहीं रही त्योहारों पर। सच भी है और हम सब इसके जिम्मेदार है। अब हम एक दूसरे के घर बधाइयाँ देने जाने की बजाये घर पर ही बैठ फ़ोन में घुसे रहते है। अपने हाथों से कार्ड्स बनाने की बजाये और बाटने की बजाये व्हाट्सअप करते है। शॉपिंग करने जाने की बजाये घर बैठे आर्डर करते है। घर के काम काज करने की बजाये ,नौकरो को लगा देते है और हम 24 घंटे फ़ोन पर ही रहते है। इन सब के बाद भी हमारे पास समय नहीं होता खुदके कामो के लिए।

बदला तो बहुत कुछ है। लेकिन इस बदलाव में अपनेपन का जो बदलाव हुआ है बस वही पसंद नहीं आया।

त्यौहार तो अपनी जगह बराबर आ रहे है तो कमी त्योहारों में नहीं हमारे अंदर हो गई है। ये सब हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा है। त्योहारों ने तो मना नहीं किया की आप मज़े ना करे। त्यौहार आते है क्यों ,क्या ,कैसे हर सवाल को दर किनार कर इसे मनाने के लिए।

क्या था और क्या होगया है सोचने के बजाये बस त्यौहार मनाने के बारे में सोचे। खुलकर दिल से इसे मनाये। खुशियाँ है तो मना लीजिये वरना दुखों का रोना तो हर वक़्त हमारे पास होता ही है।

Leave a Comment